Friday, July 29, 2011

मेलबर्न--५, अछा है तो सीखना होगा

मेलबर्न--५,   अछा है तो सीखना होगा
सवा दो करोड़ की आबादी वाला आस्ट्रेलिया सभी को भा रहा है..अपनों की कमी झेलने वाले भी मोका मिलते ही इसकी तारीफ में बह जाते हैं. यहाँ आदमी अपने टेलेंट को उभ़ार सकता है.यह बात एक टेक्सी ड्राईवर और उसकी बीबी की है.उनका कहना है की पिछले ११ साल में उन्हें इस देश से कोई शिकायत नहीं. इस देश में अनेक चीजें  yesi   है जिन्हें सीखा जा सकता है.
आस्ट्रेलिया का इतिहास ३ सो सालों से कम का है .इस इतिहास का प्रदर्शन करने में सरकार की मेहनत साफ झलकती है.१७७८ में अन्रेजों ने यहाँ कदम रख्खा . खूब मारकाट की .इस धरती के इतिहास के काले पन्ने को  मेलबर्न के कई मूजियम में शानदार और ईमानदारी से दर्शाया गया है.मेलबर्न में रुकने का यही तो मजा है की यहाँ के मूजियम और लाब्रेरारी का भ्रमण  करने में आनद की अनुभूति होती  है. स्टेट लाब्रेररी में पुस्तके ही नहीं वरन यहाँ की कई गेलरी किसी मूजियम से कम नही.मूजियम में दर्शकों को केसे आकर्षित किया जाता है ,कलाक्रतिओं को केसे प्रदर्शित किया जाना चाहिए यह सब य्याहान से शिखा जाना चाहिए.१८ वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में मेलबर्न की पुरानी जेल भी मूजियम सरीखी है इस जेल की एक  कालकोठरी में फतेहचंद ऑफ इंडिया लिखा मिला. इस भारतीय ने यहाँ किसी का maar     डाला था   किया था और फासी की सजा पाई थी. इसी जेल में मुझे नेड केली के बारे में जानने का मोका मिला. २३ साल के इस आयरिश लड़के को १८८० में फांसी पर लटकाया गया. इसने अग्रेजी हुकूमत को ४ दोस्तों के साथ मिलकर जबरदस्त चुनोती दी थी. नेड पर ६-७ फिल्में बन चुकी हैं.नेड पर अलग आलेख बन सकता है. 
मेलबर्न में २३३ देशों के लोग बसे है. भारतीयों की रुची दिनप्रतिदिन  बढ रही है. आस्ट्रलिया का अतीत और वर्तमान किसी फिल्मी कहानी से कम रोचक नहीं.यंहा की सरकार इस रोचकता को बढाने में किसी मायने  में कम नही. अच्छी बातों को तो सीखा  जा सकता है. 
 

 
 
 

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