Tuesday, August 9, 2011

Melbourne --8

मेलबर्न---, केप्टिन कुक काटेज - अतीतजीवी होने का सुख अतीत में झाँकने का अपना अलग सुख है. आने वाले कल को सुनहरा बनाने के लिए जरूरी है की हम गुजरे हुए कल को बार बार देखें .यह बात आस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर के तमाम संग्रहालय देखने के बाद  जेहन में आती है. अतीत की धरोहर को सजा सवारकर प्रदर्शित करने की कला आस्ट्रेलिया सरकार जानती है.और संसाधन की कोई कमी इनके पास नहीं. आस्ट्रेलिया का इतिहास करीब २५० साल पुराना है. इस इतिहास को सरकार ने गजब की सुन्दरता के साथ यहाँ के संग्रहालयों में प्रदर्शित किया है.आस्ट्रेलिया के इन एतिहासिक झरोंखों में ताक़ झांक करते   मुझ जेसे पर्यटक को अधिकाधिक पर्यटन की इच्छा बलबती होती है. यह आलेख में मेलबर्न के स्मरणीय स्मारक केप्टिन कुक काटेज को समर्पित करना चाहता हूँ. केप्टिन कुक के नाम से मशहूर हुया नोजवान जेम्स कुक है .जो इंग्लैंड के योर्कशायर के गाँव ग्रेट Ayton में रहता था और २७ साल की उम्र में रायल नेवी में रहते हुए १७६९ में रहस्य रोमांच से भरपूर लम्बी लम्बी समुद्री यात्राएँ की. आस्ट्रेलिया को खोज निकालने वाला केप्टिन कुक ही था. कुक ने अपने जीवन में ३२२००० .मी.की यात्रा कर और इस अभियान में आस्ट्रेलिया की खोज कर दुनिया के इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया.. कुक का जहाज  अप्रेल १७७० में विक्टोरिया में समुद्र किनारे लगा तभी से इंग्लेंड के हाथ आस्ट्रेलिया आया . १८ वी. शताब्दी में इंग्लेंड की हालत पतली थी और गरीबी के कारण अपराध बढ रहे थे,अपराधियों को जेल में रखने के स्थान कम पड़ने लगे.इसी समय में कुक द्वारा खोजी नई जमीन इंग्लेंड को बेहद पसंद आई. .सभी जानते हैं की इंग्लेंड ने इस कोलोनी का इस्तेमाल केदिओं के लिए किया..भारत में काला पानी नाम से मशहूर  अंडमान -निकोबार दीप का प्रयोग भी जेल के रूप में किया गया था.
yorkshire  के गाँव great  Ayton  में कुक के पिता के मकान को जस का तस उखाड कर मेलबर्न में स्थापित करने की योजना १९३४ में बनी.मेलबर्न के एक इतिहास प्रेमी सर Russell  Grimwade ने  इस मकान की कीमत चुकाई और छोटे से मकान की इंटों को  सावधानीपूर्वक अलग कर ,उन पर नंबर डालकर २५३ कंटेनरों में बंद कर जहाज से मेलबर्न लाया गया. इंग्लेंड में  १८ वीं शताब्दी के मकानों की बनाबट आज से एकदम भिन्न थी. .
मकान के चारोँ ओर  फुलवारी और ऐसे पेड़-पोधे होते थे जो किसी रोग के उपचार में काम आते थे. हेरत की बात यह है की कुक की काटेज की ईट पत्थर  ही नहीं  काटेज की फुलवारी  भी  यहाँ इंग्लेंड से लाकर   रोप दी गई है. यह काटेज पर्यटकों को बेहद  लुभा रही है.१८ वीं शताब्दी इंग्लेंड की जीवन शेली के दर्शन करा रही है.इससे भी अधिक  महत्वपूर्ण बात यह की सरकार और यहाँ के वाशिंदे  मेलबर्न के Fitzroy  Gardens  में खड़ी  कुक की काटेज  के जरिये   इस शानदार देश के जनक  को श्रध्दासुमन अर्पित करने के साथ साथ अपने  अतीत प्रेम को भी दर्शा रही है.       
  

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