Wednesday, August 3, 2011

मेलबर्न-७,नेड केलि की कथा निराली है

मेलबर्न -- ,नेड केली की कथा निराली है. आप आस्ट्रलिया आयें और नेड केली की रोचक कहानी सुनें बिना चले जाएँ ,यह संभव नहीं .अंग्रेजी सत्ता को चुनोती देने के जुर्म में २५ साल के आयरिश नोजवान नेड keli को सन १८८० में अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी पर लटका दिया था .मेलबर्न की ओल्ड जेल(आज मूजियम) की कालकोठरी और उस स्थान को देखकर में हेरत में पड़ गया जहां नेड को आनन् फानन में फाँसी दी गयी .आस्ट्रेलिया के मंझे हुए कलाकारों द्वारा एक घंटे के नाटक का मंचन देखकर में मंत्रमुघ हो गया. यह नाटक नेड की जिन्दगी पर फांसी स्थल पर होता है.मजेदार बात यह है की नेड की जिन्दगी में जिसने भी जानने की कोशीश की वह बहता ही चला गया.इतिहासकार, शिक्षाविद, समाज सुधारक ,उपन्यासकार ,फिल्मनिर्माता ,कवि,लेखक ,पत्रकार,लोकगायक ही नहीं आस्ट्रेलिया की सामान्य जनता ने नेड के गीत गए हैं.आस्ट्रेलिया की पुलिस रहस्य रोमांच से भरपूर नेड की जिन्दगी के कुछ अनसुलझे पहलुओं को आज भी सुलझाने की कोशिश करती रहती है. जून १८५५ में जन्मे नेड के पिता रेड केली आयरलेंड से एक केदी के रूप में आस्ट्रेलिया लाये गए थे. सजा काटने के बाद केली परिवार यही बस गया. १२ भाई बहिनों में नेड सबसे बड़ा था .१२ वर्ष की उम्र में नेड ने देखा की विक्टोरिया पुलिस ने उसके परिवार को कभी भी चेन से सांस नहीं लेने दी. अबोध बच्चों के साथ उसकी माँ को तो कभी उसको जेल में डाल देना पुलिस की आदत बन गयी .१४ वर्ष की उम्र में नेड बाग़ी हो गया. हमउम्र दोस्तों के साथ मिलकर वह अंग्रेजी हुकूमत को मजा चखाने बगाबत की राह पर चलने लगा.हथियार थाम और घोड़ो पर सवार नोजवानों का केली गेंग जब जंगलों से अत्याचारी सत्ता के खिलाफ हुंकार भरता था तो पुलिसवालों की रूह कांप जाती थी. केली गेंग को पैसों की जब भी आवशयकता होती वे बेंक लूटते किसी राहगीर को नहीं...सन १९७८ में केली के नाम से सरकार थर थर कांपने लगी.१०० पौंड का इनाम रखा केली के सर पर.एक बार पुलिस वालों ने केली को घेर लिया.इनमें पुलिस वाले गेंग की गोलिओं से मारे गए. एक भाग निकला.इस घटना के बाद केली की गिरफ्तारी पर इनाम २०० पौंड कर दिया गया. बाद में यह इनाम ८००० पौंड तक पहुच गया .इंग्लेंड और आस्ट्रेलिया में किसी अपराधी को पकड़ने के लिए इतना बड़ा इनाम आज तक घोषित नहीं किया गया . केली गेंग के चारों सदस्य लोहे का कवच पहनते थे .इस पर गोली असर नहीं करती थी. इस कबच में खेत जोतने वाले हल का लोहा प्रयोग किया गया था .सर से लेकर पेरों तक का ४० किलो वजन का कवच किस तकनीक से बनाया गया,केली के दिमाग में कवच की परिकल्पना केसे आई और इसे केसे अंजाम दिया आदि सवाल १२५ साल बाद भी केली पर शोध करने वालों को परेशान किये हुए हैं. गाँव वाले केलि से भरपूर सहानभूति रखते थे.केलि ने ५७ पेज (करीब ८००० शब्द) का एक पत्र लिखा और इसे अखबार में प्रकाशित करने के लिए एक व्यक्ति को दिया.इसकी एक प्रति विक्टोरिया संसद को भेजी.इस पत्र को तब दवा दिया गया.१९३० में यानी केलि को म्रत्यु दंड दिए जाने के ५० साल बाद यह पत्र अखबार में छपने के बाद उजागर हुआ. इस पत्र में केलि ने अपने बागी बनने की पूरी कथा तथा अपने परिवार पर किये गए पुलिसिया जुल्म लिखने के साथ साथ शोषित और गरीबों पर ब्रटिश हुकूमत द्वारा किये जाने वाले अन्याय की तस्वीर है.केलि के इस पत्र और भारत के शहीद भगत सिंह द्वारा अदालत में दिए गए बयानों में मुझे समानता मिलती है. यह एक संयोग है.केलि ने पुलिस के हाथों कभी पकडे जाने की व्यवस्था अपने कबच के माध्यम से कर रखी थी.लेकिन विधि को यह मंजूर था.बात २६ जून १८८० की है.मेलबर्न से १८० की.मी. दूर ग्लेंरोवन नाम का गाँव है. केलि ने इस गाँव के ७० लोगों को अचानक बंधक बनाया.उसकी योजना थी की इस खबर को सुन मेलबर्न से पुलिस फोर्स ट्रेन से आयेगी. वह रास्ते में पटरी उखाड कर ट्रेन को पलटने की व्यवस्था कर देगा.बंधकों में एक स्कूल मास्टर भी था. किसी तरह वह भाग निकला और ट्रेन को पलटने से बचा लिया. पुलिस ने उस होटल को घेर लिया जिसमे केलि बंधको के साथ था. दोनों ओर से गोलीवारी हुई. केलि अपने कवच पर गोलिओं के वार झेलता रहा.लेकिन एक गोली उसके पैर में लगी और वह गिर पडा और पकड़ा गया/.बाकी तीन साथी मारे गए. मुकदमा चला और आनन् फानन में ११ नव.१८८० को केलि को ओल्ड जेल में फँसी पर लटका दिया गया. केलि को फांसी देने की अपील ३०००० गाँव वालों ने की. फांसी की सजा सुनाने वाले जज रेडमंड बेरी ने जब केलि से अंतिम इच्छा पूंछी तो केलि ने बड़ी सहजता से कहा की वह जहां जा रहा है वहां आपसे (जज) जल्द ही मुलाक़ात होगी.यह संयोग था की जज बेरी १२ दिन बाद अपने चेंबर में चल बसे. केलि की कहानी का एक आश्चर्यजनक पह्लू यह है की जज बेरी ने ओल्ड जेल के पास एक लाइब्रेरी की स्थापना की थी. आज यह लाइब्रेरी दुनिया की मानी हुई लाइब्रेरी है. इस स्टेट लाइब्रेरी में आज केलि की स्मृति रक्षा बहुत सम्मान के साथ की जा रही है .एक गेलरी केलि को समर्पित है. इसमें केलि का रक्षा कवच और केलि को अमरत्व प्रदान करने वाला उसका पत्र अनेक चित्रों के साथ बड़े सम्मान के साथ प्रदर्शित है .केलि की बहादुरी ब्रिटिश सत्ता को जबरदस्त चुनोती थी .केलि किस मिटटी का बना था, इस रहस्य को जानने के लिए पुलिसवालों ने फांसी के फंदे से केलि के मृत शारीर को उतारा और उसका सर कलम कर चिकित्सकों से जांच कराइ की इसके अन्दर कोई चीज विशिष्ट तो नहीं. बाद में पुलिस अफसर केलि की खोपड़ी का इस्तेमालअपनी मेज पर एक पेपरवेट के रूप में भी करते रहे.अपनी निजी लड़ाई जब jantaa की लड़ाई बन जाय तो लड़ने वाला योध्दा जननायक बन जाता है . यही हुआ केलि केसाथ. जिस स्थान पर केलि को फासी दी गयी उस स्थान पर उसके जीवन पर नाटक खेले जा रहे है ,जिस कालकोठरी में रहा वह संग्रहालय है,जिस मिटटी में उसने पुलिस के साथ लुकाछिपी की वहां लोकगायक उसकी बहादुरी के गीत गा रहे हैं. सम्पूर्ण आस्ट्रेलिया के विश्व विधालयों में केलि के संघर्ष के पीछे छिपे जनहित के मर्म को तलाशने की कोशिश की जा रही है गोष्ठियों और सेमीनार के जरिये केलि के जाने के सवा सो साल बाद भी. .मेलबर्न -- ,नेड केली की कथा निराली है. आप आस्ट्रलिया आयें और नेड केली की रोचक कहानी सुनें बिना चले जाएँ ,यह संभव नहीं .अंग्रेजी सत्ता को चुनोती देने के जुर्म में २५ साल के आयरिश नोजवान नेड keli को सन १८८० में अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी पर लटका दिया था .मेलबर्न की ओल्ड जेल(आज मूजियम) की कालकोठरी और उस स्थान को देखकर में हेरत में पड़ गया जहां नेड को आनन् फानन में फाँसी दी गयी .आस्ट्रेलिया के मंझे हुए कलाकारों द्वारा एक घंटे के नाटक का मंचन देखकर में मंत्रमुघ हो गया. यह नाटक नेड की जिन्दगी पर फांसी स्थल पर होता है.मजेदार बात यह है की नेड की जिन्दगी में जिसने भी जानने की कोशीश की वह बहता ही चला गया.इतिहासकार, शिक्षाविद, समाज सुधारक ,उपन्यासकार ,फिल्मनिर्माता ,कवि,लेखक ,पत्रकार,लोकगायक ही नहीं आस्ट्रेलिया की सामान्य जनता ने नेड के गीत गए हैं.आस्ट्रेलिया की पुलिस रहस्य रोमांच से भरपूर नेड की जिन्दगी के कुछ अनसुलझे पहलुओं को आज भी सुलझाने की कोशिश करती रहती है. जून १८५५ में जन्मे नेड के पिता रेड केली आयरलेंड से एक केदी के रूप में आस्ट्रेलिया लाये गए थे. सजा काटने के बाद केली परिवार यही बस गया. १२ भाई बहिनों में नेड सबसे बड़ा था .१२ वर्ष की उम्र में नेड ने देखा की विक्टोरिया पुलिस ने उसके परिवार को कभी भी चेन से सांस नहीं लेने दी. अबोध बच्चों के साथ उसकी माँ को तो कभी उसको जेल में डाल देना पुलिस की आदत बन गयी .१४ वर्ष की उम्र में नेड बाग़ी हो गया. हमउम्र दोस्तों के साथ मिलकर वह अंग्रेजी हुकूमत को मजा चखाने बगाबत की राह पर चलने लगा.हथियार थाम और घोड़ो पर सवार नोजवानों का केली गेंग जब जंगलों से अत्याचारी सत्ता के खिलाफ हुंकार भरता था तो पुलिसवालों की रूह कांप जाती थी. केली गेंग को पैसों की जब भी आवशयकता होती वे बेंक लूटते किसी राहगीर को नहीं...सन १९७८ में केली के नाम से सरकार थर थर कांपने लगी.१०० पौंड का इनाम रखा केली के सर पर.एक बार पुलिस वालों ने केली को घेर लिया.इनमें पुलिस वाले गेंग की गोलिओं से मारे गए. एक भाग निकला.इस घटना के बाद केली की गिरफ्तारी पर इनाम २०० पौंड कर दिया गया. बाद में यह इनाम ८००० पौंड तक पहुच गया .इंग्लेंड और आस्ट्रेलिया में किसी अपराधी को पकड़ने के लिए इतना बड़ा इनाम आज तक घोषित नहीं किया गया . केली गेंग के चारों सदस्य लोहे का कवच पहनते थे .इस पर गोली असर नहीं करती थी. इस कबच में खेत जोतने वाले हल का लोहा प्रयोग किया गया था .सर से लेकर पेरों तक का ४० किलो वजन का कवच किस तकनीक से बनाया गया,केली के दिमाग में कवच की परिकल्पना केसे आई और इसे केसे अंजाम दिया आदि सवाल १२५ साल बाद भी केली पर शोध करने वालों को परेशान किये हुए हैं. गाँव वाले केलि से भरपूर सहानभूति रखते थे.केलि ने ५७ पेज (करीब ८००० शब्द) का एक पत्र लिखा और इसे अखबार में प्रकाशित करने के लिए एक व्यक्ति को दिया.इसकी एक प्रति विक्टोरिया संसद को भेजी.इस पत्र को तब दवा दिया गया.१९३० में यानी केलि को म्रत्यु दंड दिए जाने के ५० साल बाद यह पत्र अखबार में छपने के बाद उजागर हुआ. इस पत्र में केलि ने अपने बागी बनने की पूरी कथा तथा अपने परिवार पर किये गए पुलिसिया जुल्म लिखने के साथ साथ शोषित और गरीबों पर ब्रटिश हुकूमत द्वारा किये जाने वाले अन्याय की तस्वीर है.केलि के इस पत्र और भारत के शहीद भगत सिंह द्वारा अदालत में दिए गए बयानों में मुझे समानता मिलती है. यह एक संयोग है.केलि ने पुलिस के हाथों कभी पकडे जाने की व्यवस्था अपने कबच के माध्यम से कर रखी थी.लेकिन विधि को यह मंजूर था.बात २६ जून १८८० की है.मेलबर्न से १८० की.मी. दूर ग्लेंरोवन नाम का गाँव है. केलि ने इस गाँव के ७० लोगों को अचानक बंधक बनाया.उसकी योजना थी की इस खबर को सुन मेलबर्न से पुलिस फोर्स ट्रेन से आयेगी. वह रास्ते में पटरी उखाड कर ट्रेन को पलटने की व्यवस्था कर देगा.बंधकों में एक स्कूल मास्टर भी था. किसी तरह वह भाग निकला और ट्रेन को पलटने से बचा लिया. पुलिस ने उस होटल को घेर लिया जिसमे केलि बंधको के साथ था. दोनों ओर से गोलीवारी हुई. केलि अपने कवच पर गोलिओं के वार झेलता रहा.लेकिन एक गोली उसके पैर में लगी और वह गिर पडा और पकड़ा गया/.बाकी तीन साथी मारे गए. मुकदमा चला और आनन् फानन में ११ नव.१८८० को केलि को ओल्ड जेल में फँसी पर लटका दिया गया. केलि को फांसी देने की अपील ३०००० गाँव वालों ने की. फांसी की सजा सुनाने वाले जज रेडमंड बेरी ने जब केलि से अंतिम इच्छा पूंछी तो केलि ने बड़ी सहजता से कहा की वह जहां जा रहा है वहां आपसे (जज) जल्द ही मुलाक़ात होगी.यह संयोग था की जज बेरी १२ दिन बाद अपने चेंबर में चल बसे. केलि की कहानी का एक आश्चर्यजनक पह्लू यह है की जज बेरी ने ओल्ड जेल के पास एक लाइब्रेरी की स्थापना की थी. आज यह लाइब्रेरी दुनिया की मानी हुई लाइब्रेरी है. इस स्टेट लाइब्रेरी में आज केलि की स्मृति रक्षा बहुत सम्मान के साथ की जा रही है .एक गेलरी केलि को समर्पित है. इसमें केलि का रक्षा कवच और केलि को अमरत्व प्रदान करने वाला उसका पत्र अनेक चित्रों के साथ बड़े सम्मान के साथ प्रदर्शित है .केलि की बहादुरी ब्रिटिश सत्ता को जबरदस्त चुनोती थी .केलि किस मिटटी का बना था, इस रहस्य को जानने के लिए पुलिसवालों ने फांसी के फंदे से केलि के मृत शारीर को उतारा और उसका सर कलम कर चिकित्सकों से जांच कराइ की इसके अन्दर कोई चीज विशिष्ट तो नहीं. बाद में पुलिस अफसर केलि की खोपड़ी का इस्तेमालअपनी मेज पर एक पेपरवेट के रूप में भी करते रहे.अपनी निजी लड़ाई जब jantaa की लड़ाई बन जाय तो लड़ने वाला योध्दा जननायक बन जाता है . यही हुआ केलि केसाथ. जिस स्थान पर केलि को फासी दी गयी उस स्थान पर उसके जीवन पर नाटक खेले जा रहे है ,जिस कालकोठरी में रहा वह संग्रहालय है,जिस मिटटी में उसने पुलिस के साथ लुकाछिपी की वहां लोकगायक उसकी बहादुरी के गीत गा रहे हैं. सम्पूर्ण आस्ट्रेलिया के विश्व विधालयों में केलि के संघर्ष के पीछे छिपे जनहित के मर्म को तलाशने की कोशिश की जा रही है गोष्ठियों और सेमीनार के जरिये केलि के जाने के सवा सो साल बाद भी. .v
v

v

No comments:

Post a Comment