Monday, March 19, 2012

दाडी में गुन बहुत हैं
अशोक बंसल
बालीबुड अभिनेत्री नेहा धूपिया को अदा के साथ किसी पर फिदा होने का चस्का लगा है l तभी तो चुनाव प्रचार में लगे कुआँरे राहुल को छोटे परदे पर निहार कर 'सेक्सी ' शब्द का उच्चारण कर दिया l चंहु ओर चुप्पी की लहर छा गयी l राहुल बाबा के हनुमान दिग्गी राजा को सूझ नहीं रहा कि नेहा के 'कमेन्ट' का क्या जबाव दें .नेहा की मंशा क्या है ,यह भी हनुमानजी के भेजे में नहीं घुस ...रही l वैसे दिग्गी राजा ने अपनी कथनी से बाबा रामदेव की करनी के आगे अनेक सवालिया निशान लगा दिए हैं l बाबा हिचकियाँ लेते नजर आ रहे हैं .लेकिन नेहा के मामले में दस जनपथ मौन है l
नेहा ने राहुल बाबा को दाडी कटवाने की सलाह भी दी है l नेहा राहुल को सुन्दर और सुन्दर बना कर अपने सपनों का राजकुमार बनाना चाहती हैं पर इस सुंदरी को कौन समझाए कि दाडी में गुण ही गुण हैं और कबीरदास की शैली में राजनीति के धुरंधरों ने इसे सदैव अपने साथ रखने की सलाह दी है l राहुल बाबा को इस चुनाव में ' एंग्री यंगमैन' की भूमिका अदा करनी थी . क्लीन शैव में जब वह चुनाव सभा में बाहें चढ़ा कर ,आँखे निकाल कर बोलते थे तब उनके चहरे से मासूमियत टपकती थी .ऐसे में राहुल बाबा को दाडी रखने की सलाह दी गई ताकि वह दमदार दिखाई दें l राहुल को बताया गया कि अमेरिका के १६ वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन को एक कन्या ने दाडी रखने की सलाह दी थी l दाडी में लिंकन का व्यक्तित्व निखर आया और वे दुनियाभर में मशहूर हुए l राहुल ने फौरन दाडी रख लीl
पते कि बात यह है कि एम्स में भर्ती रहे अमरसिंह को राहुल को दाडी रखने की सलाह देने वाले सूत्रों की भनक लग गई थीl बीमार अमर ने अपने जासूस छोड़े और राहुल को दी जाने वाली सलाह का पता लगा लिया l राहुल अमल करें उससे पहले अमर ने अपने ब्लेड -रेजर -शेविग क्रीम फ़ेंक दी . अब आप भी देखिये अमर की घनी दाडी मुलायम और आजम खान को सुबह -शाम डरा रही है l
बेचारी सिने तरिका नेहा दाडी के अन्दर की बात क्या समझे l बालीबुड में सेक्स ' ',सेक्सी 'जेसे शब्दों की मनो फसल उग आई है ,सो इस शब्द को उच्चारित कर बैठी अपनी जुबान से l राहुल की तरफ से कोई जबाब मिलते न देख नेहा ने राहुल को नजदीक लाने की एक अन्य धांसू तरकीब तलाशी है l नेहा ने एक ऐसे सेलून को खोलने की योजना बनाई है जिसमें पुरुषों की हजामत नहीं बल्कि दाडी को करीने से तराशा जायगा l नेहा को पूरी उम्मीद है कि उसके सेलून में राहुल बाबा ही नहीं , कांगेस के बूढ़े और नौजवान राहुल बाबा की स्टाइल की दाडी रखेंगे और उसके रखरखाव के सालाना अनुबंध के लिए ''नेहा सेलून सेंटर ''में पधारेंगे .नेहा के धंधे को देख दूसरी अभिनेत्रियाँ जलें तो जलें उसकी बला से l नेहा जल्द ही दाडी वाले नौजवानों को सेक्सी पुकारना शुरू करेंगी l
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Sunday, March 18, 2012


व्यंग
कर्ज में डूबे हैं ----
अशोक बंसल
जो लोग कर्ज में डूबे रहते हैं वह चुल्लू भर पानी में नहीं डूबते और जिन्हें चुल्लू भर पानी में डूबने का डर रहता है वे कर्ज में डूबने की बात दूर कर्ज लेने की सोचने से भी डरते हैंऐसे डरपोक लोगों से देश नहीं चलता.        किंगफिशर के मालिक विजय माल्या के कर्ज में डूबे होने के किस्सों से गरीब जनता के कान पक गए हैं लेकिन माल्या और उनके भक्तों के होंसले बुलंद हैं .बंगलौर में माल्या  की 'यूबी सिटी' नाम की रियासत को देखकर लगता है कि विजय माल्या की किंगफिशर कर्जों से दबी होने की खबरे झूठीं है .
पेट भरे   लोगों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह किंगफिशर को मदद दे ताकि आकाश में उड़ने वाले हवाई जहाजों की संख्या पर कोई फर्क पड़े .नहीं तो जनता को एक जगह से दूसरी जगह जाने में दिक्कत होगी  .भरे पेट के  लोग अपनों को ही जनता मानते हैं और जिनके पेट कमर से लगे हैं वे उन्हें लोग  नहींसिर्फ वोट मानते हैं और वह भी कुछ ख़ास मौकों पर जैसे चुनाव . 
चचा सुखराम अर्थशास्त्र के विशेषज्ञ हैं .उनका कहना है कि किसी घटना की निंदा करने के वजाय उससे प्रेणना लेनी  चाहिए .विजय माल्या  कर्ज से लदे हैं फिर भी उनके चेहरे पर शिकन नहीं .जितने भी धर्म ग्रन्थ हैं उन सबमें कष्ट में मनोबल में कोई गिरावट  लाने देने के सन्देश हैं . माल्या ने गीता भी पढ़ी है और गांधीजी के सच्चे उपासक भी हैं .चाचा की बैठक में चेलों की भीड़ है .चाचा ने भी माल्या जैसी दाड़ी रखी है . भकाभक दाड़ी में  अपनी अँगुलियों के पोरों को  घुमाते हुए चाचा बोले कि साऊथ अफ्रीका में गांधीजी  की विरासत को नष्ट होने से बचाया .लाखों खर्च कर राष्ट्रपिता की अनेक चीजें खरीदीं और भारत लायेऐसे  शख्स की यदि देश मदद करे तो कौन सी बुरी बात है . चाचा सुखराम ने समझाया कि  देश आज तरक्की कर रहा है .सैंकड़ों उद्योग घराने कर्ज लेकर एक के पांच कर रहे है ,लाखों बेरोजगार खप रहे हैं .दस-बीस घराने डूब भी जांए तो तरक्की पर कोई भी प्रतिकूल असर नहीं पडेगा और ही देश की जी.डी.पी. पर .
चाचा की बात में श्रोताओं को दम नज़र आई . सब ने फैसला किया कि वे अखबारों के 'पाठको' के पत्र कालम  के माध्यम से  विजय माल्या की किंगफिशर पर लदे कर्जे को माफ करने की  मुहीम छेड़ेंगे और कहेंगे ----कर्ज में डूबे हैं और काम चल रहा है ,दुनिया की बही में माल्या का नाम चल रहा है .
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Thursday, March 1, 2012

         भूतपूर्व हो जाने का दुःख

   
       अशोक बंसल    
                

             इस नश्वर   जीवन  में न जाने कितने दुःख हैं जो हमारी काया पर नश्तर  चुभोते हैं। इन दुःखों मे एक दुःख ऐसा है जिसका मुकाबला बड़े से बड़ा दुःख नहीं कर सकता। लेकिन  राहत की बात यह है यह बड़ा दुःख सिर्फ बड़ों के भाग्य में लिखा है और देश  की आम जनता इस दुःख का नाम तक नहीं जानती। इस दुःख का नाम है- भूतपूर्व हो जाने का दुःख।
     मतदान निपट गया l थकान मिट भी न पाई थी कि वोटों कि गिनती का दिन आ गया l चमचों ने जितने का  पूरा भरोसा दिया था लेकिन दूसरे राउंड में ही धराशाही हो गए ,हार गए .दो बार से विधायक थे l बड़ी मुश्किल से मंत्री बने थे l     क्षणभर में भूतपूर्व हो गए  बेचारे। बेडरूम  में जाकर करम पकड़ लिया l मारकाट और मारामारी के बीच टिकट की जुगाड़ लगाई थी।  नेताओं और उद्योगपतियों के चरणों में लमलेट होना पड़ा  लेकिन  यह  क्या  हुआ, अंगरक्षक समेट लिए प्रशासन ने। लाल बत्ती से महरूम हो गए बिचारे। पर्दे लगी गाड़ी में गरीब जनता की गरीबी देखने का अपना एक अलग ही आनन्द है। अब जनता की सेवा कैसे कर पाऐंगे बेचारे। भूतपूर्व जो हो गए।
    पुलिस चौकी से लेकर एस.पी. तक, बाबू से लेकर कलेक्टर तक किसी को भी फोन करते थे तो पहला वाक्य होता था, ‘मैं मंत्री  बोल रहा हूँ ।’ बस काफी था दूसरे छोर पर कोई क्यों न हो की हवा निकालने के लिए। फोन के चौंगे की तरफ ऑंखें गड़ाए खड़े हैं। साहस नहीं हो रहा फोन उठाने का। भूतपूर्व जो हो गए।
    परसों की बात है, मकान मालिक और किराएदार की लड़ाई का मामला था। किराएदार  मंत्रीजी  का पुराना वोटर था। वोट वाले दिन अकेले ने 25 वोट ड़ाले थे। वोटर की बहादुरी की खबर जब  उन्हें  मिली थी तो उन्होंने अपने सच्चे हिमायती को गले से लगा लिया था। मकान मालिक की  दविश  से घबड़ा कर किराएदार दौड़ा-दौड़ा अपने भूतपूर्व मंत्री के दरवाजे पर पहुचा और चौकी दरोगा को फोन करने की गुहार करने लगा। पीड़ित किराएदार की मान्यता थी कि भूतपूर्व होने पर रूपया अठन्नी का रह जाता है लेकिन उसे क्या मालूम था कि रूपया अठन्नी तो क्या धेला भी नहीं रहता।
         किराएदार ने नम्बर डायल कर चोगा भूतपूर्व को थमा दिया। भूतपूर्व मंत्री का नाम सुनते ही  दरोगा का पारा हाई हो गया।  दरोगा ने अपनी खानदानी परम्पराओं को ताक पर रखकर बडे़ कायदे और शालीनता से पूछा, ‘ आदेश  सर ?’ भूतपूर्व के कान में सिर्फ ‘सर’ शब्द गूॅजा। बस फिर क्या था, उनका छुआरा बना कलेजा फिर छत्तीस हो गया। दाढ़ी की तह में अपनी अंगुलियों के पोरे पहुॅचाते भूतपूर्व दहाड़े -‘ऐसा है दरोगा जी .........................।’ वाक्य पूरा हो इससे पूर्व दरोगा ने सलाह दी, ‘आप बाद में बात करें। कृपया फोन रख दीजिए। कोतवाल साहब का फोन आने वाला है।
     आजादी के बाद देश में हुए प्रथम चुनाव के बाद हजारों बड़े लोग भूतपूर्व हो गए हैं। आइऐ शहर की पॉश  कॉलोनी में चलते हैं। मलाल बाबू यानी भूतपूर्व मंत्री की विषाल कौठी हमारे सामने है। मलाल बाबू अपने लॉन की पुरानी कुर्सी में  दुबके पड़े हैं। जाडे़ की धूप सेक रहे हैं। भूतपूर्व का  मुहं  खुला है। बुढ़ापे की निराशा में  जबड़ों की पकड़ कमजोर हो जाती है। हाथ में बासी अखबार है। ऑंखें अखबार पर लेकिन दिमाग गुजरे वक्त को याद करने में लगा है। एक दिन वो थे और एक दिन आज है। मलाल बाबू ही नहीं, हर भूतपूर्व के मन में यह विचार आता है। सर्दी, गर्मी और बरसात सभी मौसम लौट कर आते हैं। पर हमारा वैभव भरा अतीत क्यों नहीं वापस आता। इन्हीं बेसिर पैर के ख्यालों में डूबकी लगाते भूतपूर्व खर्राटे भरने लगते हैं।
    भूतपूर्व कोई काठ का उल्लू तो होता नहीं जो अपने भूतपूर्व होने की वजह न तलाश  सके। ‘मेरे पिछले जन्म के पाप होंगे।’ गहरी निशवास छोड़ता, जमीन में  नजरें गड़ता भूतपूर्व एक दिन में कई बार सोचता है। बस! यही विचार भूतपूर्व को पूजा-पाठ की तरफ मोड़ता है। यदि आप को यकीन न हो तो सुबह या शाम  किसी एक भूतपूर्व को फोन करके देख लीजिए।  ‘कहॉं हैं मंत्री जी ?’ आप पूछेंगे तो जबाब मिलेगा, ‘पूजा पर बैठे हैं।’
   सुना है कि बुरे  कर्मों  में लीन व्यक्ति यमराज के हत्थे चढ़ने पर भूत योनि में रहता है। पीपल के पेड़ पर या किसी शमशान के घाट पर। लेकिन जनाब भारतीय प्रजातंत्र का  भूतपूर्व  मनुष्य की योनि में शहर  की पॉश कालोनियों में रहता है, । लेकिन अपने वर्तमान से छुटकारा पाने की छटपटाहट उसमें किसी पीपल के भूत से कम नहीं होती।
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