Saturday, April 21, 2012

बाबा का आशीर्वाद


व्यंग
बाबा का आशीर्वाद
अशोक बंसल

पुलिस चौकी में हुजूम था  तमाशबीनों का . दरोगा ने जमीन पर पड़े नौजवान चोर को  को पीट पीट कर सुजा दिया था  ."बता कौन कौन है तेरे साथ ". नौजवान चिल्ला चिल्लाकर  गुजारिश कर रहा था  पिटाई बंद करने की ताकि वह थोड़ी दम ले और फिर बताये कि  वह कैसे पकड़ा गया. नौजवान की यह पहली चोरी नहीं थी .इससे पहले भी वह गली-मोहल्लों ,हाट बाजार और बस-रेल में छोटे -बड़े मॉल पर हाथ साफ करता रहा था .पुलिस के हत्थे वह पहली बार चढ़ा है .
दरोगा ने सिपाही को हुक्म दिया कि  चोर को पानी पिलाकर उसके आफिस में लाये . कराहते हुए  नौजवान ने 'हुजूर, बाबा ने मरवा दिया '  कहा  तो दरोगा के कान खड़े हो गए . "कैसे ,कौन बाबा  " दरोगा ने पूछा . इस पर नौजवान  बोला "मैंने टी वी पर देखकर निर्मल बाबा के समागम की दो हज़ार की पर्ची कटवाई थी .प्रोग्राम  में बाबा से मैंने ईमानदारी से अपने चोर होने की बात कबूल की .इस पर बाबा ने मुझे सीख देते मन लगाकरऔर डूब कर काम करने , कभी भी पीछे मुड़कर न देखने का आशीर्वाद दिया .मैंने निर्मल बाबा की सलाह मानी .और धर लिया गया . पहले मैं चोक्न्ना रहता था. किसी के माल पर हाथ साफ करने से बाद मुड मुड   कर  देख लेता था कि  पुलिस तो नहीं आ रही है ,कभी नहीं पकड़ा गया .बाबा की   पीछे मुड़कर न देखने की सलाह पर अमल करना भारी साबित हुआ . न मानता सलाह  और न ही पकड़ा जाता ."
  दरोगा नौजवान से हमदर्दी दिखाए उससे पहले   दो महिलाओं  को रोते -बिलखते पुलिस चौकी में प्रवेश करते देख दरोगा चौंका .दरयाफ्त  करने पर मालूम पडा कि यह केस भी निर्मल बाबा के आशीर्वाद का था .दोनों के कन्धों पर बड़े बड़े काले पर्स लटक रहे थे .महिलाओं ने बताया कि समागम में निर्मल बाबा ने पर्स खोल कर चलने  की सलाह दी थी ताकि बरकत आये .  बरकत तो गयी तेल लेने ,पूरे महीने  की सेलरी  पर न जाने कौन हाथ साफ कर गया .
दरोगा को निर्मल बाबा पर गुस्सा आया .उसने बाबा का खिलाफ केस दर्ज करने का मन बनाया .उसने एसपी साहब  को विशवास में लेने की सोची .बंगले पर पहुंचा तो दरोगा को बताया गया कि साहब मेमसाहब के साथ निर्मल बाबा के समागम में गए हैं .
--------अशोक बंसल  ,१७ बल्देब पुरी एक्सटेंसन ,मथुरा ----म९८३७३१९९६९  

मंडी बाबाओं की


व्यंग
मंडी बाबाओं की
अशोक बंसल
"व्यापार कोई हो ,यदि आपको पैर जमाने हैं तो लीक से हटकर काम करो .अन्यथा मात खा जाओगे ", बेरोजगारों की बैठक में चचा सुखराम का प्रवचन जारी है .चचा को सुख मिलता है भटकते -मटकते नैजवानों को सही रस्ते पर लाने में .चचा खान है नया धंधा शुरू करने और फिर उसे जमाने की .आत्मप्रचार से दूर रहकर जनसेवा में जुटे चचा का यह भेद न जाने कहाँ से लीक हो गया कि निर्मल बाबा असल मायने में चाचा के ही चेले हैं .  प्रतिस्पर्धा से खचाखच बाबागिरी के धंधे में नया हथकंडा  और नई शैली  अपनाने की सलाह निर्मल बाबा को चचा ने ही दी थी .तभी तो चचा की बैठक में बेरोजगारों का मानो मेला  लगा है .

निर्मल का धंधा ऐसा सटीक रहा कि कोई भी सामाजिक और सरकारी कानून उनका बाल बांका भी नहीं कर पाया . टीवी वाले पहले बाबा के प्रचार में उनका समागम दिखाते हैं और फिर दबी जुबान से नारा लगाते हैं कि "अन्धविश्वाश समाज की प्रगति में वाधक है ." चचा ने धंधे की जुगाड़ में जमा हुए बेरोजगारों को बताया कि वैश्वीकरण के युग में दुमही के ही नहीं इंसान के भी दो मुंह होने चाहिए . इसी सिध्दांत पर अमल कर नेता और टीवी चैनल तरक्की कर रहे हैं .चाचा बोले कि मथुरा-वृन्दावन बाबाओं की  मंडी है . हर बाबा का अपना निजी स्टाइल है इसीलिए उनके अलग अलग भक्त है .नेता लोग इस भीड़ को देख मुंह में  ऐसे पानी भर लाते है जैसे गोलगप्पे की दूकान को देखकर महिला के मुंह में पानी आ जाता है . "कलयुग जाएगा,सतयुग आयेगा ",यह नारा धवल वस्त्रधारी एक बाबा का है .युग बदल गए पर कलयुग नहीं गया .एक सिरफिरा भक्त बाबा से जुबान चला बैठा कि बाबा सतयुग नहीं आया तो बाबा बोला "अन्दर के नेत्र खोल ,यह नारा मैंने अपने लिए बोला था .सच हो गया .मेरा सतयुग वर्षों से मेरे साथ चल रहा है "  चचा ने रहस्य  खोला कि बाबा से सवाल -जबाब करने वाला चेला और कोई नहीं ,निर्मल बाबा ही थे . निर्मल की समझ में सतयुग का मंत्र आ गया था .

चचा समझा रहे हैं कि बाबाओं के मंत्र को पकड़ो  . निर्मल बाबा कह रहे हैं कि काला पर्स खरीदो तो इसके पीछे कोई मंत्र है .जो पकड़ लेगा वह निर्मल जैसा दूसरा बाबा हो जाएगा.दरअसल हमारे देश की धरती उपजाऊ है .इसमें बाबाओं की खेती बिना खाद-पानी के संभव  है .
चाचा के  प्रवचन के वक्त सब मन्त्र मुग्ध थे .इतने में एक नौजवान गेरूआ वस्त्र का थान ले आया .चचा की त्यौरियां चढ़ गयीं ,बोले " जमाना बदल गया है .बाबा की पहचान अब गेरूआ से नहीं होती .यह पहचान दिमाग से होती है . बाबागिरी के धंधे के निर्मल आदर्श  है .उसके कृतित्व -व्यक्तित्व का बारीक अध्ययन करो .कामयाबी तुम्हारे कदम चूमेगी ,जाओ ,आगे बढ़ो "
---------------------------------------------------------अशोक बंसल ,9837319969

Monday, March 19, 2012

दाडी में गुन बहुत हैं
अशोक बंसल
बालीबुड अभिनेत्री नेहा धूपिया को अदा के साथ किसी पर फिदा होने का चस्का लगा है l तभी तो चुनाव प्रचार में लगे कुआँरे राहुल को छोटे परदे पर निहार कर 'सेक्सी ' शब्द का उच्चारण कर दिया l चंहु ओर चुप्पी की लहर छा गयी l राहुल बाबा के हनुमान दिग्गी राजा को सूझ नहीं रहा कि नेहा के 'कमेन्ट' का क्या जबाव दें .नेहा की मंशा क्या है ,यह भी हनुमानजी के भेजे में नहीं घुस ...रही l वैसे दिग्गी राजा ने अपनी कथनी से बाबा रामदेव की करनी के आगे अनेक सवालिया निशान लगा दिए हैं l बाबा हिचकियाँ लेते नजर आ रहे हैं .लेकिन नेहा के मामले में दस जनपथ मौन है l
नेहा ने राहुल बाबा को दाडी कटवाने की सलाह भी दी है l नेहा राहुल को सुन्दर और सुन्दर बना कर अपने सपनों का राजकुमार बनाना चाहती हैं पर इस सुंदरी को कौन समझाए कि दाडी में गुण ही गुण हैं और कबीरदास की शैली में राजनीति के धुरंधरों ने इसे सदैव अपने साथ रखने की सलाह दी है l राहुल बाबा को इस चुनाव में ' एंग्री यंगमैन' की भूमिका अदा करनी थी . क्लीन शैव में जब वह चुनाव सभा में बाहें चढ़ा कर ,आँखे निकाल कर बोलते थे तब उनके चहरे से मासूमियत टपकती थी .ऐसे में राहुल बाबा को दाडी रखने की सलाह दी गई ताकि वह दमदार दिखाई दें l राहुल को बताया गया कि अमेरिका के १६ वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन को एक कन्या ने दाडी रखने की सलाह दी थी l दाडी में लिंकन का व्यक्तित्व निखर आया और वे दुनियाभर में मशहूर हुए l राहुल ने फौरन दाडी रख लीl
पते कि बात यह है कि एम्स में भर्ती रहे अमरसिंह को राहुल को दाडी रखने की सलाह देने वाले सूत्रों की भनक लग गई थीl बीमार अमर ने अपने जासूस छोड़े और राहुल को दी जाने वाली सलाह का पता लगा लिया l राहुल अमल करें उससे पहले अमर ने अपने ब्लेड -रेजर -शेविग क्रीम फ़ेंक दी . अब आप भी देखिये अमर की घनी दाडी मुलायम और आजम खान को सुबह -शाम डरा रही है l
बेचारी सिने तरिका नेहा दाडी के अन्दर की बात क्या समझे l बालीबुड में सेक्स ' ',सेक्सी 'जेसे शब्दों की मनो फसल उग आई है ,सो इस शब्द को उच्चारित कर बैठी अपनी जुबान से l राहुल की तरफ से कोई जबाब मिलते न देख नेहा ने राहुल को नजदीक लाने की एक अन्य धांसू तरकीब तलाशी है l नेहा ने एक ऐसे सेलून को खोलने की योजना बनाई है जिसमें पुरुषों की हजामत नहीं बल्कि दाडी को करीने से तराशा जायगा l नेहा को पूरी उम्मीद है कि उसके सेलून में राहुल बाबा ही नहीं , कांगेस के बूढ़े और नौजवान राहुल बाबा की स्टाइल की दाडी रखेंगे और उसके रखरखाव के सालाना अनुबंध के लिए ''नेहा सेलून सेंटर ''में पधारेंगे .नेहा के धंधे को देख दूसरी अभिनेत्रियाँ जलें तो जलें उसकी बला से l नेहा जल्द ही दाडी वाले नौजवानों को सेक्सी पुकारना शुरू करेंगी l
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Sunday, March 18, 2012


व्यंग
कर्ज में डूबे हैं ----
अशोक बंसल
जो लोग कर्ज में डूबे रहते हैं वह चुल्लू भर पानी में नहीं डूबते और जिन्हें चुल्लू भर पानी में डूबने का डर रहता है वे कर्ज में डूबने की बात दूर कर्ज लेने की सोचने से भी डरते हैंऐसे डरपोक लोगों से देश नहीं चलता.        किंगफिशर के मालिक विजय माल्या के कर्ज में डूबे होने के किस्सों से गरीब जनता के कान पक गए हैं लेकिन माल्या और उनके भक्तों के होंसले बुलंद हैं .बंगलौर में माल्या  की 'यूबी सिटी' नाम की रियासत को देखकर लगता है कि विजय माल्या की किंगफिशर कर्जों से दबी होने की खबरे झूठीं है .
पेट भरे   लोगों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह किंगफिशर को मदद दे ताकि आकाश में उड़ने वाले हवाई जहाजों की संख्या पर कोई फर्क पड़े .नहीं तो जनता को एक जगह से दूसरी जगह जाने में दिक्कत होगी  .भरे पेट के  लोग अपनों को ही जनता मानते हैं और जिनके पेट कमर से लगे हैं वे उन्हें लोग  नहींसिर्फ वोट मानते हैं और वह भी कुछ ख़ास मौकों पर जैसे चुनाव . 
चचा सुखराम अर्थशास्त्र के विशेषज्ञ हैं .उनका कहना है कि किसी घटना की निंदा करने के वजाय उससे प्रेणना लेनी  चाहिए .विजय माल्या  कर्ज से लदे हैं फिर भी उनके चेहरे पर शिकन नहीं .जितने भी धर्म ग्रन्थ हैं उन सबमें कष्ट में मनोबल में कोई गिरावट  लाने देने के सन्देश हैं . माल्या ने गीता भी पढ़ी है और गांधीजी के सच्चे उपासक भी हैं .चाचा की बैठक में चेलों की भीड़ है .चाचा ने भी माल्या जैसी दाड़ी रखी है . भकाभक दाड़ी में  अपनी अँगुलियों के पोरों को  घुमाते हुए चाचा बोले कि साऊथ अफ्रीका में गांधीजी  की विरासत को नष्ट होने से बचाया .लाखों खर्च कर राष्ट्रपिता की अनेक चीजें खरीदीं और भारत लायेऐसे  शख्स की यदि देश मदद करे तो कौन सी बुरी बात है . चाचा सुखराम ने समझाया कि  देश आज तरक्की कर रहा है .सैंकड़ों उद्योग घराने कर्ज लेकर एक के पांच कर रहे है ,लाखों बेरोजगार खप रहे हैं .दस-बीस घराने डूब भी जांए तो तरक्की पर कोई भी प्रतिकूल असर नहीं पडेगा और ही देश की जी.डी.पी. पर .
चाचा की बात में श्रोताओं को दम नज़र आई . सब ने फैसला किया कि वे अखबारों के 'पाठको' के पत्र कालम  के माध्यम से  विजय माल्या की किंगफिशर पर लदे कर्जे को माफ करने की  मुहीम छेड़ेंगे और कहेंगे ----कर्ज में डूबे हैं और काम चल रहा है ,दुनिया की बही में माल्या का नाम चल रहा है .
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