व्यंग
बंद लिफाफे की माया
अशोक बंसल
लिफाफे में रखी चीज को जानने की जिज्ञासा सदैव से रही है.एक वक्त एसा था जब शातिर दिमाग बंद लिफाफे में रखे मजमून को भांप लेने में माहिर थे.अब लिफाफे और मजमून का कोई सम्बन्ध नहीं रहा है.लिफाफे में माया रखने का युग आ गया है. लिफाफा गिफ्ट का पर्याय बन गया है. जन्मदिन,सालगिरह या शादी कोई भी आयोजनक्यों न हो ,निमंत्रण मिलते ही भद्र पुरुष मुद्रायुक्त लिफाफा
ले दावत उड़ाने निकल पड़ते हैं.
मेरे शहर के एक मंत्री की बेटी की शादी में चाट -पकोड़ी के दर्जनों स्टाल के मध्य एक स्टाल लिफाफों का था. इस स्टाल पर मंत्री के दो खास लोग मेहमानों द्वारा दिए लिफाफों का हिसाब किताब देख रहे थे. एक व्यक्ति लिफाफा थाम रहा था तो दूसरा एक रजिस्टर में लिफाफा में रखी रकम गिन गिन कर नोट कर रहा था. लिफाफों वाले स्टाल पर लगी भीड़ मंत्रीजी की लोकप्रियता मानी जा रही थी.
शादी में दरवाजे पर मेहवानों के स्वागत में खड़े मेजबान की कोट -पेंट की सभी जेबों में ठुंसे लिफाफों को देख खुद के किसी होटल में आने का आभास होता है.फर्क सिर्फ इतना है की इस होटल
में खाने का सामान मेजवान की मर्जी का और पेमेंट मेहमान की इच्छा पर निर्भर करता है.
मुझे अपने एक मित्र की रोनी सूरत की आज भी याद है .मित्र अपनी बेटी की शादी में मेहमानों के दिए लिफाफे लेले कर जेब में ठूंस रहा था.
अगले दिन हिसाब लगाने पर मालूम हुआ कि कई लिफाफे गायब थे. ऐसा ही एक किस्सा मुझे याद है. मित्र ने लिफाफे रखने की जिम्मेदारी अपनी सजी धजी पत्नी को दे रखी थी. पत्नी को अपनी साड़ी के गेट अप की चिंता थी सो लिफाफे का थैला मालकिन ने नोकरानी को दे दिया .
मेहमानों की भीड़ में नोकरानी कहाँ खो गई कि आज तक नहीं मिली है. लिफाफे की माया ने प. सुखराम पर जो गुजारी है ऐसा कहर भागवान किसी पर न ढाए.किस्सा रोचक होने के साथ भीभ्त्स भी है. सुखराम को मित्र की बेटी की शादी में शहर के शानदार होटल में जाना था .सूट पहनने से पूर्व सुखराम ने लिफाफा तैयार किया .गेट पर खड़े मित्र को बधाई और लिफाफा दोनों थमा दिए और फिर मेज पर सजे भोजन पर टूट पड़नेतैयार हो गए .मेहमानों ने आधाअधूरा खाया था कि रिवाल्वर धारी एक दरोगा की आवाज हवा में गूंजी.''कोई हिलेगा नहीं,होटल का गेट बंद कर दिया गया है. गिफ्ट के लिफाफे का थैला गायब है. आप सब की तलाशी होगी. ''
मेहमानों के होश फाकता हो गए .डीजे पर थरकते पैरों में बेड़ियाँ पड़ गयी,महिलाओं की अंगुलियाँ सब्जी में डूबी की डूबी रह गयीं. गेट पर दरोगा मेहमानों की तलाशी लेने में मश्गूल था. देर से आने वाले मेहमान होटल में प्रवेश पाने से पहले किसी बड़े संकट की गंध पा फूट लिए.
सुखराम सोच रहे हैं कि लिफाफे में बंद मजमून ने कभी किसी को इतने बड़े संकट में नहीं डाला जितना लिफाफे में बंद माया ने.
-----------------------------------------अशोक बंसल,१७ बल्देव्पुरी एक्सटेंशन ,मथुरा 9837319969
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