Sunday, February 26, 2012


            कमबख्त फिसल गई  
            अशोक  बंसल

नेताओं की जुबान न फिसले यह कैसे हो सकता है l इस चुनाव में तो यह खूब फिसली कांग्रेस  के जयप्रकाश जायसवाल ,बेनी प्रसाद,सलमान खुर्शीद सरीखे नेताओं ने अपनी जुबान दांतों के पीछे रखने की भरपूर कोशीश की .कमबख्त न मानी l
    बात पुरानी है लेकिन मुझे याद है। भारतीय जनता पार्टी के नेता लाल कृष्ण  आडवाणी पाकिस्तान गए थे। वहॉं उन्हे लियाकत अली जिन्ना की मजार पर फूल चढ़ाने का मौका मिला। टी.वी. चैनलों का माइक देख नेता बेकाबू हो जाता है। शरीर में सिरहन दौड़ जाती है और जुबान हरकत में आ जाती है। आडवाणी के साथ भी यही हुआ। बेचारे बोल गए ‘जिन्ना सेक्यूलर थे।’
     फिर क्या था। पूरे देश  में बबाल मच गया। अखबार और टी.वी. वालों को मसाला मिल गया। आडवाणी के मार्ग दशकों को यदि किसी शब्द से नफरत है तो वह है ‘सेक्यूलर’। उनके अपने दुलारे आडवाणी अपने मुखारबिन्द से सेक्यूलर का उच्चारण करें इसे कैसे बर्दास्त किया जाए। संघ के कार्यकर्ताओं ने आडवाणी को बुरा भला कहा। फंस गए बेचारे आडवाणी।
   लोगों की समझ से परे है कि आखिर आडवाणी पाकिस्तान गए ही क्यों! और यदि गए तो वहां बोले ही क्यों? न बोलते और न फजीहत होती। ‘ऊंच-नीच’ होने पर ‘पब्लिक-प्रेसर’ में ‘सॉरी’ बोलो तो सारी इमेज चौपट हो जाती है। आडवाणी ने चिंतन किया पर समझ न सके अपनी गलती को । आडवाणी बड़बड़ाये  - ‘मेरे देश  के लोंगों की समझ में नहीं आता तो मैं क्या करूं। क्या जमाना आया है अपने ही अपनों के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं।’
     आडवाणी नहीं जानते कि तोल मोल कर कैसे बोला जाता है। अटल जी इस वक्त रोग शय्या पर हैं l चलते फिरते थे तब  वह टोल मोल कर बोलने में  दक्ष  थेl  ऐसे संकट के क्षणों में ही आडवाणी को अटल याद आते हैं। गले पड़ी आफत कैसे छूटे। मुंह   से निकली बात और बन्दूक से छूटी गोली वापस नहीं आती। पता नहीं आडवाणी के दिमाग में क्या-क्या आ रहा  था । कोई नहीं जानता। उन्होंने सोचा कि अटल जी के पास चलो, वह कल्याण करेंगे।
     अटल मन्द-मन्द मुस्कराए और फिर बोले, ‘आडवाणी जी हमारी आपकी एक ही उम्र है। हमें धैर्य से काम लेना होगा। इन नौजवानों को बूढ़े-बढ़ों की पहचान नहीं है। जो हो गया सो हो गया। एक चुप सौ को हराती है। मौन धारण कर लो। आगे फजीहत न हो इसकी प्लानिंग करो।’ ‘कैसी प्लानिंग ?’ आडवाणी ने पूछा।
    ’तराजू में तोल कर बोलो। कुछ न सूझे तो मेरी तरह ऑंखें बन्द कर चुप्पी साध लो।’ अटल जी ने वास्तव में ऑंखें मूंद ली।
     जिस आडवाणी ने अटल की किसी बात को कभी गंभीरता से नहीं लिया वह भी इस सलाह पर न्योछावर हो गए l आडवाणी ने अटल स्टाइल में ऑंखें मीचीं और हाथ जोड़कर जीभ निकालकर बोले, ‘अटल जी क्या करूं कमबख्त फिसल गई चमडे की जो है।’ अटल मुस्कराए ‘आप ठीक कहते हैं  l  आगे से  इसे दॉंतों के भीतर रखो।’
अपुष्ट सूत्रों की खबर है कि सोनिया ने अपने बडबोले नेताओं को  भी अटलजी की सलाह भेजी है l
--------------------------------------------------अशोक बंसल ,१७ बलदेव पुरी एक्सटेंशन ,मथुरा
                                                    ९८३७३१९९६९

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