Thursday, May 27, 2010

रामदेव जी! सिर्फ पैसे से नहीं आयेगी खुशहाली


अशोक बंसल

स्वकस्थ’ रहने के लिए योग जरूरी का सार्थक प्रचार कर अपने नाम की शोहरत बटोर चुके बाबा रामदेव अब देश की जर्जर काया का कल्प करने का ब्रत ले बैठे हैं । बाबा ने मान लिया है कि सफेदपोश नेताओं के आगे उपदेश की ढपली बजाकर देश में खुशहाली लाना बेमानी है। भारत स्वाेभिमान जवान संस्था का गठन कर बाबा देश प्रेम का अलख जगाने में जुट गये हैं। उहोंने देश वासियों के बीच स्विस बैंकों में जमा काले धन को स्वदेश लाने के सवाल को मुद़दा बनाया है ।बाबा की जुबान पर देश के काले धन के चौकाने वाले आंकडे हैं। मसलन स्विस बैंक में हमारे देश के नेता, व्याापारियों और अधि‍कारियों के तीन सौ लाख करोड की रकम काले धन के रूप में जमा है। इस धन को वापस लोने में मौजूदा सरकार कोई पहल नहीं कर रही है। अत्‍- अगले चुनाव में भारत स्वानभिमान जवान के लोग संसद में पहुंच कर सत्ताे की बागडोर सभालेंगे और स्विस बैंक में जमा काले धन को वापस लाकर देश को खुशहाल बनायेगे ।

राजनैतिक व आर्थिक चिंतन से शून्य बाबा की रणनीति संसद में अपने समर्थ्‍कों को भेजवाने में कामयाब हो पायेगी, यदि हां तो उनके समर्थक स्विस बैंक में जमा पैसे को देश में वापस ला पायंगे कि नहीं। यदि हां तो इस पैसे से देश की गरीबी कैसे दूर होगी, मजदूर किसान और वेरोजगार कैसे खुशहाल होंगे आदि प्रश्नों के उत्तदर बाबा के पास नहीं है । आजादी के बाद सत्ता् संभालने वाले नेता मजदूर किसानों को सब्ज बाग दिखाकर सत्ता पर बार बार काबिज होने के गुर सीख गये हैं । सत्तातधरियों की गरीबी तो दूर हो गयी है लेकिन देश में भूख से मरने वालों की उपस्थिति आज भ्‍ी बनी हुई है । ऐसा नहीं कि हमारे प्रजातांत्रिक देश के संविधान में सबकुछ गडबड है । संविधान में बर्णित सारे कायदे कानून  दुरूस्त है लेकिन सस्ताा पर काबिज नेता और इसकी चाहत में इर्दगिर्द घूमने वाले सफेद पोशों की फौज संविधान की रक्षा में नहीं बल्कि इसे ध्वेस्त करने में लगी है ।

ऐसे में बाबा और उनके अनुयायियों को समझना होगा कि हमारे देश में खुशहाली लाने का इलाज महज सत्ताा परिवर्तन नहीं बल्कि सत्ता पर काबिज लोगों के खिलाफ व्यापक जन आन्दोलन की शुरूआत करना है । बाबा रामदेव ने योग को प्रचारित करने में पांच वर्ष से जयादा का वक्त लगाया तब उन्‍हें हमारे मानस पर योग की सता काबिज करने में कामयाबी मिली1 सिर्फ राजनैतक ताकत हासिल कर देश की गरीबी और भ्‍ुखमरी दूर करने का बाबा का सपना कैसे सच सावित होगा । इस प्रश्न का उत्तर बाबा रामदेव के समर्थकों को देना होगा। क्या ही अच्‍छा हो यदि बाबा देश में मौजूदा भ्रष्टाकचार, अशिक्षा, अन्‍धविश्वाास आदि कुरीतियों के विरूद्व व्याापक और दीर्घ आन्दोलन की रूपरेखा बनायें। सम्भ व हे बाबा का यह आन्‍दोलन करोडों दिशाहीन युवकाें को सही रास्ता दिखाने का काम करे । मथुरा के बाबा जयगुरूदेव ने भी बाबा रामदेव की तर्ज पर दूरदर्शी पार्टी का गठन कर राजनीति में दस्ताक दी थी । सतयुग आयेगा और कलयुग जायेगा के लोकप्रिय नारे ने बाबा जयगुरूदेव के भक्तों की संख्या में जबरदस्त इजाफा किया था। बाबा की दूरदर्शी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की सभ्‍ी सीटो पर चुनाव लडा लेकिन जबरदस्त निराशा हाथ लगी 1 तब बाबा ने राजनीति एक वैश्या है कहकर दूरदर्शी पार्टी को भंग कर दिया। अब उन्हों ने अपने प्रवचनों को आध्यात्म और समाज सेवा तक ही सीमित कर रखा है। बाबा जयगुरूदेव के आश्रम पर साल में लगने वाले कई विशाल भण्उारो में लाखों की भीड; आज जुटती हैा इन भण्डागरों में दहेज रहित विवाह को बाबा बढावा देते हैं ।बाबा विवादों से दूर हैं।

अंत में, बाबा रामदेव के सत्ता् में आने के सपने सच हो या न हो पर इतना निश्चि त है कि बाबा के राजनीति में आने के प्रयास का लाभ कोई एक राजनैतिक पार्टी  उठायेगी। बाबा रामदेव के हाथ वैसी ही निराशा हाथ लगेगी जैसे कि बाबा जयगुरूदेव को किसी वक्त लगी थी ।



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